US China Trade War 2025: डोनाल्ड ट्रंप का नया व्यापार वार
2025 की वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक बार फिर भूचाल आया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया, जबकि 75 देशों के लिए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है। यह कदम विश्व व्यापार में बड़ी हलचल मचाने वाला माना जा रहा है।
ट्रंप की पॉलिसी का नया चेहरा
डोनाल्ड ट्रंप, जिनकी पहचान हमेशा से आक्रामक व्यापार नीतियों के लिए रही है, ने एक बार फिर दुनिया को चौंकाया है। उनका दावा है कि यह निर्णय अमेरिका के हित में है और इसका उद्देश्य चीन की “अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस” के खिलाफ कड़ा संदेश देना है।
उन्होंने कहा कि 75 देशों को जो छूट दी गई है, वह स्थायी नहीं है, बल्कि एक वार्ताकालीन अवसर है, ताकि अमेरिका उनके साथ दोबारा व्यापार नियमों को परिभाषित कर सके।
चीन पर क्यों बरसे ट्रंप?
चीन ने हाल ही में अमेरिकी उत्पादों पर 84% तक का टैरिफ लगा दिया था। ट्रंप ने इसका जवाब 125% शुल्क के रूप में दिया। ट्रंप का मानना है कि चीन लंबे समय से अमेरिका के साथ “एकतरफा व्यापार” कर रहा है और यह अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
इस फैसले से संकेत मिलता है कि ट्रंप, अगर दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो व्यापार नीति को लेकर पहले से भी ज़्यादा कठोर रुख अपनाएंगे।
बाजार में असर: शेयर मार्केट ने दी तेज़ प्रतिक्रिया
ट्रंप की इस घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर मार्केट में बड़ा उछाल देखा गया। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज करीब 3,000 अंक तक उछल गया। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल अस्थायी हो सकता है, क्योंकि वैश्विक अनिश्चितता बनी हुई है।
ग्लोबल इकोनॉमी पर असर
यह निर्णय केवल अमेरिका और चीन को नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित करेगा। यूरोप, भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देश इस स्थिति को करीब से देख रहे हैं। कई देशों को डर है कि यह ट्रेड वॉर अगर आगे बढ़ा, तो वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा सकता है।
चीन की प्रतिक्रिया भी तीखी
चीन ने न सिर्फ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइज़ेशन (WTO) में शिकायत दर्ज की है, बल्कि 11 अमेरिकी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया है। इसके अलावा, चीनी सरकार ने अपने नागरिकों को अमेरिका यात्रा पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है।
क्या यह ट्रंप की चुनावी रणनीति है?
कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह ट्रंप की एक सोची-समझी चुनावी रणनीति हो सकती है। चुनाव से पहले ट्रंप फिर से ‘America First’ नीति को हवा दे रहे हैं। उनका मकसद व्यापारिक असंतुलन और चीन विरोधी भावना को भुनाना है।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?
भारत उन 75 देशों में शामिल हो सकता है जिन्हें अस्थायी टैरिफ राहत मिली है। यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है, अमेरिकी बाज़ार में अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का। अगर भारत स्मार्टली डील करता है, तो दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ सकता है।
आगे क्या?
ट्रंप ने यह स्पष्ट किया है कि अगर दूसरे देश अमेरिका के हितों के खिलाफ जाते हैं, तो टैरिफ फिर से लगाया जा सकता है। इस बीच, जून तक अमेरिका कई देशों के साथ नए व्यापार समझौते शुरू करने की योजना बना रहा है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम वैश्विक व्यापार के लिए एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। चीन के साथ बढ़ती तनातनी, टैरिफ का बढ़ना और बाकी देशों को राहत देना एक नई व्यापारिक रणनीति का हिस्सा है। अब देखना यह होगा कि बाकी देश अमेरिका के साथ कैसे डील करते हैं और वैश्विक इकोनॉमी किस दिशा में जाती है।