Bal Hriday Yojana
बिहार सरकार की ‘मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना’ (Bal Hriday Yojana) गरीब परिवारों के उन बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो जन्मजात हृदय रोगों से पीड़ित हैं। इस योजना के तहत 0 से 18 साल तक के बच्चों को फ्री हार्ट ट्रीटमेंट दिया जा रहा है, जिसमें दिल में छेद (VSD), वाल्व संबंधी दोष और अन्य कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) शामिल हैं। अब तक 763 से अधिक बच्चों की सफल सर्जरी हो चुकी है, जिससे उन्हें नया जीवन मिला है।
क्या है ‘Bal Hriday Yojana’?
बिहार सरकार ने ‘सात निश्चय-2’ कार्यक्रम के तहत इस योजना की शुरुआत 9 अप्रैल 2021 को की थी। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को फ्री कार्डियक ट्रीटमेंट उपलब्ध कराना है। यह योजना उन बच्चों के लिए खास तौर पर बनाई गई है, जिनके परिवार के पास महंगी हार्ट सर्जरी कराने का साधन नहीं है।
योजना के मुख्य फीचर्स:
- फ्री स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस – बच्चों की जाँच निःशुल्क की जाती है।
- फ्री सर्जरी और मेडिकल ट्रीटमेंट – दिल की बीमारी का पूरा इलाज सरकार के खर्चे पर होता है।
- ट्रैवल और स्टे का खर्च – 6 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ माँ और एक अटेंडेंट का यात्रा व रहने का खर्च भी सरकार उठाती है।
- एम्बुलेंस सुविधा – गंभीर मामलों में रेफरल के लिए फ्री एम्बुलेंस की सुविधा दी जाती है।
कहाँ होता है इलाज?
इस योजना के तहत बच्चों का इलाज मुख्य रूप से इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी (IGIC), पटना और इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (IGIMS), पटना में किया जाता है। हालांकि, कुछ जटिल मामलों में बच्चों को अहमदाबाद के प्रशांति मेडिकल सेंटर में भी भेजा जाता है, जहाँ सरकार पूरा खर्च वहन करती है।
कैसे मिलेगा योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को निम्नलिखित प्रक्रिया पूरी करनी होगी:
- आवेदन पत्र – जिला स्वास्थ्य समिति या नोडल अस्पताल से फॉर्म लेना होगा।
- मेडिकल रिपोर्ट – बच्चे की हृदय रोग से संबंधित रिपोर्ट जमा करनी होगी।
- आय प्रमाण पत्र – परिवार की आय का प्रमाण देना होगा (BPL कार्डधारकों को प्राथमिकता)।
- चयन प्रक्रिया – मेडिकल बोर्ड द्वारा जाँच के बाद सर्जरी की तिथि तय की जाती है।
योजना का असर: कितने बच्चों को मिला फायदा?
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अब तक 763 बच्चों की सफल सर्जरी हो चुकी है। इनमें से अधिकांश मामले दिल में छेद (VSD) और ब्लू बेबी सिंड्रोम से जुड़े थे। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज मिलने से इन बच्चों का जीवन सामान्य हो गया है और वे अब स्कूल जा सकते हैं।
राज्य सरकार का लक्ष्य अगले दो साल में 2000 से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ पहुँचाना है। इसके लिए IGIC और IGIMS में विशेष कार्डियक यूनिट्स को अपग्रेड किया जा रहा है।
क्या कहते हैं लाभार्थी?
मधुबनी जिले के रहने वाले रामकिशोर साह का 5 साल का बेटा दिल में छेद (VSD) के साथ पैदा हुआ था। वे बताते हैं, “हम गरीब किसान हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल में 2-3 लाख रुपये की सर्जरी हम नहीं करा सकते थे। लेकिन ‘Bal Hriday Yojana’ के तहत मेरे बेटे का ऑपरेशन IGIMS में हुआ और अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।”
इसी तरह, गया की रहने वाली सुमन देवी का 3 साल का बेटा भी इस योजना से लाभान्वित हुआ। उन्होंने बताया, “सरकार ने न सिर्फ सर्जरी का खर्च उठाया, बल्कि हमारे ठहरने और खाने का भी इंतजाम किया।”
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ. अरुण कुमार, कार्डियोलॉजिस्ट, IGIMS के अनुसार, “बिहार में हर साल लगभग 10,000 बच्चे जन्मजात हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं। इनमें से 30% को तुरंत इलाज की जरूरत होती है। ‘Bal Hriday Yojana’ जैसी पहल से इन बच्चों को जीवनदान मिल रहा है।”
निष्कर्ष
बिहार सरकार की ‘मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना’ (Bal Hriday Yojana) न सिर्फ गरीब परिवारों के बच्चों को बेहतर इलाज मुहैया करा रही है, बल्कि बाल मृत्यु दर को कम करने में भी मदद कर रही है। अगर आपके आसपास कोई ऐसा बच्चा है, जिसे हृदय रोग का इलाज चाहिए, तो जिला स्वास्थ्य अधिकारी या नजदीकी सरकारी अस्पताल से संपर्क करें।