Mukhymantri Pashudhan Yojana
झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई “Mukhymantri Pashudhan Yojana” का उद्देश्य राज्य में पशुपालन को बढ़ावा देना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इस योजना के तहत पशुपालकों को अनुदान, सब्सिडी, और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें। हालांकि, पूर्वी सिंहभूम जिले में इस योजना से जुड़ी 127 परियोजनाएं पिछले पांच वर्षों से अधर में लटकी हुई हैं।
क्या है “Mukhymantri Pashudhan Yojana”?
झारखंड सरकार ने इस योजना की शुरुआत पशुपालकों और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से की थी। इसके तहत विभिन्न प्रकार की सहायता दी जाती है, जैसे:
- दुधारू पशुओं की खरीद पर सब्सिडी
- पशुशाला निर्माण के लिए वित्तीय सहायता
- पशु बीमा योजना
- बकरी, सूकर, और पोल्ट्री फार्मिंग के लिए आर्थिक सहयोग
- पशुपालन उपकरणों पर छूट
इसका मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन, मांस और अंडे की उपलब्धता को बढ़ाकर राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है।
पूर्वी सिंहभूम में 127 योजनाएं क्यों नहीं हुईं लागू?
पिछले पांच वर्षों में पूर्वी सिंहभूम जिले में 127 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही, फंड की कमी और अन्य कारणों से ये योजनाएं ज़मीन पर उतर ही नहीं सकीं।
1. पशुशेड और पोल्ट्री फार्म निर्माण में देरी
मनरेगा के तहत पशुशेड निर्माण की योजना थी, लेकिन वित्तीय संकट और उचित मॉनिटरिंग के अभाव में यह संभव नहीं हो सका।
2. लाभार्थियों को समय पर अनुदान नहीं मिला
झारखंड सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं में से कई के लिए लाभार्थियों का चयन किया गया था, लेकिन अधिकांश को समय पर आर्थिक सहायता नहीं मिली।
3. जमीनी स्तर पर निगरानी की कमी
प्रशासनिक उदासीनता के कारण योजनाओं की निगरानी ठीक से नहीं हो पाई। कई मामलों में लाभार्थियों को दी जाने वाली सहायता अधूरी रह गई।
लाभार्थियों की स्थिति: अधूरे सपने और संघर्ष
केस स्टडी 1: मालती महाली की अधूरी उम्मीदें
पोटका प्रखंड की मालती महाली को दो साल पहले “Mukhymantri Pashudhan Yojana” के तहत 75% अनुदान पर एक नर और चार मादा सूकर मिले थे। योजना के अनुसार, उनके लिए पशुशेड का निर्माण किया जाना था, लेकिन फंड की कमी के कारण यह संभव नहीं हो सका।
आज, मालती अपने सूअरों को खुले आसमान के नीचे या झोपड़ी में रखने के लिए मजबूर हैं। उचित देखभाल न मिलने के कारण उनका पशुपालन व्यवसाय नुकसान में चला गया।
केस स्टडी 2: मुर्गी पालन योजना की विफलता
राज्य सरकार ने पोल्ट्री फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं बनाई थीं। 41 स्वीकृत पोल्ट्री फार्मिंग परियोजनाओं में से सिर्फ 7 ही लागू हो सकीं। कई किसानों ने कर्ज लेकर पोल्ट्री फार्म शुरू किया, लेकिन सरकारी सहायता समय पर नहीं मिलने के कारण वे घाटे में चले गए।
आंकड़ों में झारखंड की विफलता
वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक, 68 सूकर पालन योजनाओं में से केवल 49 को ही आंशिक रूप से लागू किया गया। इसी तरह, कुल 194 स्वीकृत योजनाओं में से मात्र 67 को ही जमीनी स्तर पर उतारा गया।
वर्ष | स्वीकृत योजनाएं | लाभार्थियों को मिला लाभ |
---|---|---|
2020-21 | 40 | 18 |
2021-22 | 45 | 22 |
2022-23 | 52 | 12 |
2023-24 | 35 | 10 |
2024-25 | 22 | 5 |
सिर्फ 34% योजनाएं ही क्रियान्वित हो पाई हैं, जो सरकारी तंत्र की बड़ी विफलता को दर्शाती है।
सरकार की जिम्मेदारी और आगे का रास्ता
राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि “Mukhymantri Pashudhan Yojana” के लाभ सही समय पर पात्र लोगों तक पहुंचें। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
- फंड रिलीज़ प्रक्रिया को तेज़ किया जाए ताकि योजनाओं को बिना देरी के लागू किया जा सके।
- प्रशासनिक निगरानी बढ़ाई जाए ताकि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या लापरवाही न हो।
- लाभार्थियों को तकनीकी और वित्तीय मार्गदर्शन दिया जाए ताकि वे अपनी योजनाओं को सही तरीके से चला सकें।
- ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए जिससे पशुपालक अपनी आवेदन स्थिति और मिलने वाली सहायता की जानकारी प्राप्त कर सकें।
- जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण कर योजनाओं की समीक्षा की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ मिल रहा है।
निष्कर्ष
झारखंड की “Mukhymantri Pashudhan Yojana” ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, पूर्वी सिंहभूम जिले में 127 योजनाओं के पांच वर्षों से अधर में रहने से यह साफ हो जाता है कि सरकारी नीतियों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है।
अगर प्रशासन सक्रिय रूप से काम करे और समय पर वित्तीय सहायता मुहैया कराए, तो यह योजना हजारों किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार साबित हो सकती है। उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी और इस योजना को पूरी तरह से लागू करेगी।